लाक्डाउन – वरदान या अभिशाप
अब छह मास पूरे हो रहे है, की मैं घर पर ही हूँ l करोना महामारी के तहत भारतीय सरकार ने जो लाक्डाउन घोषित किया था, उसने मेरे जीवन में कई बदलाव या परिवर्तन लाए है l शुरूवत में जब यह लाक्डाउन लगा था, तो पाठशाला न जाने के हर्ष से जैसे मेरा रोम-रोम पुलकित हो गया थाl परंतु अब ऐसी परिस्थिति है की मैं विद्यालय जाने के लिए कुछ भी न्योछावर करने के लिए तय्यार हूँ l
परंतु जैसे हमें ज्ञात है, हर सिक्के के दो पहलू या दो बाजू होते है l लाक्डाउन में मैंने कई नए प्रतिभाएँ और रुचियाँ ग्रहण कीl जैसे, मुझे पूर्व से ही गिटार वादन का बहुत शौक़ था l मैंने इस समय में मेरी गिटार बजाने की प्रतिभा को और विकसित किया और नए गाने भी सीखे l विद्यालय की यात्रा का समय मैंने उत्पादक रूप रे इस्तेमाल किया l मैंने मेरी माता जी को गृह-कार्य में अधिकतम मदद की l बर्तन घिसना, कपड़े धोना, और पाक-कला जैसे काम मुझे आगे बड़कर विश्व विद्यालय में बहुत उपयोगी होंगे l इसके साथ ही जो अतिरिक्त समय प्राप्त होता था, उसमें मैंने पूर्ण श्रद्धा से अभ्यास किया l भौतिक-विज्ञान और गणित जिन विषयों में मैं कमज़ोर था, मैंने उसके लिए बहुत मेहनत की l लाक्डाउन में स्वस्थ रहने के लिए मैंने भरपूर व्यायाम भी किया l योग और प्राणायाम ने मुझे मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए मदद की l कहा जाता है की स्वास्थ्य ही सबसे श्रेष्ठ धन है l
इसके अलावा मैंने अपने परिवार के साथ खूब समय बिताया और मौज की l मेरे पिताजी ने मुझे अपनी बालपन की खूब कहानिया सुनाई l शाम के समय मय परिवार के संग महाभारत देखता था l महभारत देखने से मेरी हिंदी में सुधार हुई और मैंने जीवन के के मूल्यों का अर्थ समझा l लाक्डाउन का सबसे बड़ा वरदान है प्रकृति में सुधार l मनुष्य के घरपर रहने से, वातावरण में प्रदूषण की मात्रा घट गयी और जल, वायु, आदि शुद्ध हो गए l मनुष्यों ने धरती माँ को जो घुटन महसूस कराई थी वह काम हो गयी l
लाक्डाउन का सबसे बड़ा अभिशाप है शिक्षा और व्यवसाय या व्यापार पर l शहर में रहने वाले बच्चों को तो इंटर्नेट और तकनीकी का वरदान है की वे ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त कर सकते है l किंतु भारत के दूरस्थ क्षेत्रों में गरीब में गरीब बच्चों के घर में बिजली भी नहीं है l लोककडोवन ने कई लोगों की रोटी – कपड़े का भी इंतेज़म गवा दिया है l देश में बेरोज़गारी का प्रमाण बाद गया है और लोगों के नौकरी और व्यवयसाय चौपट हो चुके है l देश के प्रवासी कामगारों की हालत देखकर मेरी आँखे भर आती है l मैं इस वजह से खुद्को सौभाग्यशाली मानता हूँ l देश की अर्थव्यवस्था भी नष्ट हो चुकी हो l मैं भगवान से यही प्रार्थना करता हूँ, की वे हमें इस संकट से मुक्ति दिलाए और जल्द ही इस महामारी को सौ कोस दूर फ़ैकने का मार्ग दिखाए l जो सारे मुल्कों को नाज था अपने परमाणु पर, अभ सारी कायनात बेबस हो गयी, एक छोटे कीटाणु पर l
- आर्यन मानकर
Amazing 🙌
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